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Explainer : 'सुन लो तेजस्वी...' लालू यादव के 'गढ़' में ओवैसी की गर्जना के मायने?

लालू यादव के गढ़ मिथिलांचल में ओवैसी की गर्जना AIMIM ने दरभंगा की 4 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर तेजस्वी यादव को खुली चुनौती दी। "तुम्हारा गुरूर तुमको कमजोर कर देगा" बयान ने MY समीकरण में बड़ी सेंध की आशंका है। क्या RJD के वोट बंटेंगे?

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Ajit Kumar Pandey
Explainer : 'सुन लो तेजस्वी...' लालू यादव के 'गढ़' में ओवैसी की गर्जना के मायने? | यंग भारत न्यूज

Explainer : 'सुन लो तेजस्वी...' लालू यादव के 'गढ़' में ओवैसी की गर्जना के मायने? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली , वाईबीएन डेस्क । असदुद्दीन ओवैसी ने मिथिलांचल के दरभंगा में तेजस्वी यादव को सीधी चुनौती देते हुए ऐलान किया है कि उनकी पार्टी AIMIM अब लालू यादव के गढ़ वाली चार प्रमुख सीटों- जाले, बिस्फी, केवटी और दरभंगा शहर में चुनाव लड़ेगी। साल 2020 में सीमांचल में धमाकेदार एंट्री के बाद, ओवैसी का यह 'गुरूर' तोड़ने वाला बयान कि "तुम्हारा गुरूर तुमको कमजोर कर देगा।" 

AIMIM बिहार की MY मुस्लिम-यादव राजनीति के समीकरणों को हिलाने की क्षमता रखता है। यह न सिर्फ RJD के लिए खतरा है, बल्कि महागठबंधन की BJP को रोकने की रणनीति पर भी सवाल खड़े करता है। 

बिहार की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। यह भूचाल न तो NDA की तरफ से है, न ही महागठबंधन से बल्कि यह हैदराबाद से आई एक 'सियासी आंधी' की आहट है, जिसका नाम है असदुद्दीन ओवैसी। 

ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन AIMIM, जिसे कभी बिहार में गंभीरता से नहीं लिया जाता था, उसने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल में चुपचाप दस्तक देकर पांच सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। भले ही बाद में चार विधायक पाला बदलकर RJD में चले गए हों, लेकिन ओवैसी का हौसला टूटा नहीं है। 

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अब ओवैसी के निशाने पर सीधे-सीधे लालू यादव का पारंपरिक गढ़ रहा मिथिलांचल क्षेत्र है, और चुनौती दी गई है सीधे तेजस्वी यादव को। बीते सोमवार को दरभंगा जिले के जाले विधानसभा में ओवैसी ने जो कहा, वह सिर्फ एक चुनावी ऐलान नहीं था बल्कि RJD और उसके मुस्लिम-यादव MY समीकरण पर एक करारा प्रहार था। 

“सुन लो तेजस्वी, सुन लो RJD के नेता...। तुम्हारी नादानी तुमको नुकसान पहुंचाएगी...तुम्हारा गुरूर तुमको कमजोर कर देगा। अगर आप बिहार में बीजेपी को रोकना चाहते हैं, तो आपको ओवैसी और अख्तरुल इमाम का हाथ पकड़ना होगा।” 

यह बयान सिर्फ शब्दों का वार नहीं है, बल्कि उस मुस्लिम वोट बैंक को साधने की रणनीति है, जिसे RJD अपनी 'विरासत' मानकर चलती है। 

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लालू के 'गढ़' में क्यों गरजे ओवैसी? समझिए मिथिलांचल का सियासी गणित 

ओवैसी ने मिथिलांचल की जिन चार सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, वे हैं- जाले, बिस्फी, केवटी और दरभंगा शहर। ये चारों सीटें न सिर्फ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इन पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी अच्छी-खासी है। इन सीटों का इतिहास देखें तो ये लंबे समय तक RJD के प्रभाव में रही हैं। आज भी महागठबंधन यहां प्रभावशाली भूमिका में है। 

ओवैसी ने इन्हीं सीटों को क्यों चुना? 

इसके पीछे एक गहरा सियासी दांव है MY समीकरण में सेंध। RJD का पूरा दारोमदार मुस्लिम M और यादव Y समीकरण पर टिका है। ओवैसी 'M' फैक्टर को सीधे चुनौती देकर RJD के मजबूत आधार को कमजोर करना चाहते हैं। तेजस्वी पर दबाव गठबंधन में जगह न मिलने पर ओवैसी ने तेजस्वी यादव पर 'गुरूर' का आरोप लगाया है। यह मुस्लिम समुदाय के बीच यह संदेश फैलाएगा कि RJD गठबंधन को लेकर उतनी गंभीर नहीं है, जितनी होनी चाहिए। 

'गद्दार' विधायकों का बदला 

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में AIMIM के चार विधायकों का RJD में शामिल होना ओवैसी के लिए बड़ा झटका था। उन्होंने जनता से उन 'गद्दारों' को वोट न देने की अपील की है और RJD को चेतावनी दी है कि "चार का जवाब 24 से दिया जाएगा।" यह बयान सीधे-सीधे RJD के भीतर के मुस्लिम नेतृत्व पर हमला है। 

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RJD का 'गुरूर' बनाम ओवैसी की ज़िद मुस्लिम वोटर्स को क्या संदेश? 

ओवैसी ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह किसी भी 'यादव नेता' के सामने नहीं झुकेंगे। उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं से साफ कहा है, "आप लोग नेता बनेंगे। हम किसी भी यादव नेता के सामने नहीं झुकेंगे।" यह बयान बिहार के मुस्लिम समुदाय में नेतृत्व परिवर्तन और स्वयं की पहचान बनाने की एक मजबूत अपील है। 

RJD ने क्यों ठुकराया AIMIM का प्रस्ताव? 

AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने गठबंधन के लिए लालू यादव के आवास तक पर दस्तक दी थी और 6 सीटों की मांग की थी, जिसमें मंत्री पद की मांग भी नहीं थी। इसके बावजूद RJD ने उनके हर प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके पीछे RJD की अपनी राजनीति है वोट कटवा का डर RJD को लगता है कि AIMIM को गठबंधन में शामिल करने से BJP-विरोधी सेक्युलर वोट का ध्रुवीकरण हो जाएगा, जिसका सीधा फायदा अंततः BJP को मिलेगा। 

M-Y समीकरण को खतरा 

RJD को यह खतरा महसूस होता है कि AIMIM को जगह देने से मुस्लिम वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा RJD से छिटककर ओवैसी की तरफ जा सकता है, जिससे उनका मुख्य आधार कमजोर होगा। केंद्रीय भूमिका RJD खुद को विपक्षी एकता में केंद्रीय भूमिका में रखती है और किसी भी ऐसे दल को महत्व नहीं देना चाहती, जो उनकी MY राजनीति पर सवाल खड़े करे। 

ओवैसी की रणनीति है कि अगर RJD उन्हें गठबंधन में जगह नहीं देगी तो वह एक 'वोट कटवा' की भूमिका से आगे बढ़कर एक विकल्प के रूप में खुद को स्थापित करेंगे, ताकि RJD पर दबाव बनाया जा सके। 

NDA की 'मुस्कान' क्या ओवैसी सिर्फ RJD को ही नुकसान पहुंचाएंगे? 

ओवैसी के इस ऐलान के बाद NDA खेमे में एक तरह की 'खुशी' है। उनका मानना है कि ओवैसी के मैदान में उतरने से सीधे तौर पर RJD और महागठबंधन को ही नुकसान होगा, क्योंकि ओवैसी मुख्यतः उन्हीं वोटों में सेंध लगाएंगे, जिन्हें RJD अपना समझती है। 

बिहार बीजेपी के पदाधिकारी अरिमर्दन झा ने कहा, "मिथिलांचल में ओवैसी का बहुत ज्यादा प्रभाव तो नहीं है...लेकिन कुछ न कुछ असर तो जरूर डालेंगे।" 

एलजेपी रामविलास के प्रमोद कुमार झा का भी यही मानना है कि "उनकी पार्टी चाहे जितना ही वोट काटे, नुकसान तो RJD का ही होना तय है...NDA को उनसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।" 

यह धारणा कितनी सही है, यह चुनाव परिणाम बताएंगे। लेकिन, यह निश्चित है कि अगर ओवैसी 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की अपनी घोषणा पर कायम रहते हैं तो नुकसान होना भी तय है। पिछली बार 24 सीटों पर लड़े थे, तो बिहार की सेक्युलर वोटों की एकजुटता पर गहरा असर पड़ना भी तय है। 

ओवैसी का यह दांव एक तरफ RJD को "गुरूर" छोड़ने की चुनौती दे रहा है, तो दूसरी तरफ BJP विरोधी वोटों को बांटकर अनजाने में NDA की मदद भी कर सकता है। यह बिहार की राजनीति के लिए एक ऐसा जटिल मोड़ है, जहां एक छोटे से फैक्टर की भूमिका भी किंगमेकर की हो सकती है। 

RJD को अपने आधार वोट को बचाने के लिए अब ओवैसी फैक्टर को पहले से कहीं ज्यादा गंभीरता से लेना होगा। 

AIMIM Bihar 2025 | Owaisi Vs Tejashwi | Darbhanga Election | RJD Vote Split

AIMIM Bihar 2025 Owaisi Vs Tejashwi Darbhanga Election RJD Vote Split
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